मम्मी बचपन से हमेशा हमको ये बात समझाती थीं के दूसरों का मज़ाक बनाना बुरी बात होती है। लेकिन स्कूल में, अपनी क्लास में दोस्ती करने के लिए, उन दोस्तों के ग्रुप का पार्ट बनने के लिए, उनके गैंग का हिस्सा बनने के लिए मैं भी उनके साथ दूसरों का मज़ाक बनाने लग गई थी। हमारे ग्रुप का नाम था कोबरा गैंग। ना जाने किसने ये नामकरण किया था। 😂😂😂 आज तो सोच के अपने ऊपर ही हंसी आती है। बहुत ही स्टाइलिश एंड happening गैंग था हमारा। मेरी उस cobra gang की सहेलियां बुरी नही थीं। बस हम सब छोटे थे और हमे समझ नही थी।
खैर यहां हम मज़ाक बनाने की बात कर रहें थे। मैं शायद तब 4th या 5th क्लास में पढ़ती थी। हमारे स्कूल में एक लड़की थी। जो की गंजी थी। उसकी आइब्रोज पे भी बाल नहीं थे। वो ज्यादातर सिर पे स्कार्फ पहन के रखती थी। और कभी कभी विग भी लगाया करती थी। हमसे शायद एक साल छोटी थी वो। लेकिन उसमे बहुत एटीट्यूड था। नकचढ़ी थी। वो ज्यादातर छुट्टी पे रहती थी। कुछ बच्चे उसका मजाक बनाते थे। धीरे धीरे ये बात हमको भी पता चली। और हमारा cobra gang भी मज़ाक में शामिल हो गया। जब भी वो दिख जाती हम सब बच्चे उस पे हंसते थे। कहते "वो देखो गंजी जा री।" अक्सर वो हमें स्कूल की छुट्टी के वक्त दिखती थी। और हम सब उसपे हंसते थे। मुझे मन ही मन में डर लगता था कि पाप लगेगा। वाहेगुरु जी नाराज़ हो जायेंगे। मम्मी की सीख भी याद आ जाती थी। लेकिन मैं तो कोबरा गैंग का पार्ट थी ना। जो सब करेंगे वो मुझे भी तो करना होता था ना। तो उन सब के साथ मैं भी ज़ोर ज़ोर से हंसती थी।
हमारे स्कूल में एक छोटा सा गुरुद्वारा था। छुट्टी के समय बच्चे वहां पे अपने फ्रेंड्स का या भाई बहन का या parents का इंतज़ार किया करते थे और जब सब इक्कट्ठे हो जाते थे तब सब साथ में घर जाया करते थे। एक दिन मैं अपनी उन सहेलियों का इंतजार कर रही थी जिनके साथ मैं पैदल पैदल घर जाया करती थी और उस गंजी लड़की की मम्मी भी वहीं गुरद्वारे की थड़ पे बैठ के अपनी बच्ची का इंतजार कर रही थी। मुझे नहीं पता था के ये उसकी मम्मी हैं। जैसे ही हम सहेलियों ने उस लड़की को देखा मेरी सब सहेलियां उसे देख के हंसने लगीं और मैं happening बनने के लिए ज़ोर से बोली "वो देखो विग वाली लड़की आ गई.... हा हा हा... गंजी लड़की।" और मेरी सारी फ्रेंड्स ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे। मुझे लगा मैने बहुत बड़ा तीर मारा है। मैने आज ऐसी बात की के मेरी सारी सहेलियों को हंसी आ गई। आस पास खड़े कुछ students एंड parents भी हमारी हंसी सुन के हंस पड़े। हंसते हंसते मेरी नज़र उस लेडी पे पड़ी। वो मुझे एक उदास मुस्कुराहट के साथ देख रही थीं। और धीरे से उन्होंने मुझे देख के ना में सर हिलाया। मेरी हंसी एक दम से गायब हो गई। और मन ही मन बहुत पछतावा होने लगा। मन में महसूस हो रहा था के i did something very wrong। तब पहली बार एहसास हुआ था के हम किसी को कैसे hurt कर देते हैं। मैं बचपन से ही बहुत sensitive थी लेकिन पता नहीं क्यों मैने दूसरों को खुश करने के चक्कर में ऐसी हरकत की। इतने में वो गंजी लड़की मुझे घूरते हुए अपनी मम्मी के पास गई और वो दोनो मां बेटी मुझे देखते हुए चली गईं।
मुझे कई महीनों तक इस बात का पछतावा रहा। मैने दुबारा कभी उसका मज़क नही बनाया। जब सहेलियां उसका मज़ाक बनाती थीं तब मैं उनको मना करती थी और कहती थी के पाप लगेगा। तब मेरे फ्रेंड्स मुझे फट्टू बोलने लगे थे।
मुझे आज भी अपने बचपन की इस हरकत का पछतावा है। मैने मन ही मन कई बार माफी मांगी। मैं आज भी गुरदवारे जा के अपनी बचपन की इस हरकत की माफी मांगती हूं। मुझे अब समझ में आता है के शायद उस लड़की को cancer था।
क्या आपने कभी किसी का मज़ाक बनाया है? पछतावा हुआ?